सुख और दुःख मन की अवस्था है

सुख और दुःख मन की अवस्था है
मित्रों है य दोनों छोटे शब्द पर हम सभी के अनुभवों का हर पल इससे जुड़ा हुआ है। हम कई बार कहते है कि हमारे दुखों का पहाड़ कम ही नहीं होता, व हमेशा दूसरों के सुखों के साथ अपनी तुलना करते है।
मित्रों पर कभी आपने सोचा है कि सुख और दुख वास्तव में क्या है, सुख और दुःख ये दोनों अपनी उम्मीदों, अपेक्षा, इच्छाओं से महसूस होता है ।

Our Expectations give arise to Happiness and Sadness, if our expectations are fullfilled we experience sensation of happiness and if our expectations aren’t fulfilled we experience sensation of sadness.
In all walk of our lives we experience this moment and we fail to see within ourselves and act prudently.

हमारी इच्छायें पूर्ण की अवस्था हमारे सुख दुःख निर्धारित करती है, कई बार हमारा दुखी अशांत मन हमें सही निर्णय नहीं लेने देता, अगर हम शांत मन से निर्णय ले तो अधिकतर आपको सुख का अनुभव होता है


अगर हम अपने इच्छाओं की दिशा बदलेंगे, उसकी दशा भी बदलेगी और हम अपने भीतर सुख की खोज कर पाएँगे ।

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